(फोटो एलबम)
11वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन एवं समापन - संस्थान की आवाज के साथ
दिनांक 18 से 20 अगस्त, 2018 तक मॉरिशस में चले तीन दिवसीय विश्व हिंदी सम्मेलन का समापन पोर्ट लुई स्थित गोस्वामी तुलसीदास नगर, स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय सभागार में हिंदी के बहुआयामी विकास से जुडे नये संकल्पों और नये सपनों के मिले-जुले भाव के साथ हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन संस्थान की विदेशी छात्राओं द्वारा वैदिक मंगलाचरण एवं सरस्वती वंदना से हुआ तथा समापन भी इन्हीं छात्राओं द्वारा प्रस्तुत शांति गीत ‘कभी न झगडे निपट सकेंगे बरछी-तीर-कमानों से, दुनिया के झगडे निपटेंगे प्यार और मुसकानों से’ के साथ हुआ। यही नहीं महात्मा गांधी संस्थान मॉरिशस के विद्यार्थियों की आवाज में भी संस्थान के कुल गीत ‘भारत जननी एक हृदय हो’ की गूंज पूरे विश्व ने सुनी। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित सभागार में उपस्थित देश-विदेश के प्रतिनिधियों ने इसकी मुक्त कंठ से सराहना की।
विश्व हिंदी सम्मेलन कार्यक्रम का उद्घाटन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ ने किया। इस अवसर पर भारत के विदेश राज्य मंत्री जनरल (रिटा.) वी.के. सिंह, गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल डॉ. मृदुला गर्ग विशेष रूप से उपस्थित रहे। मॉरिशस की ओर से विष्णु लक्ष्मी नारायडु इवेन कोलेन डेवेल्यू,शिक्षा मंत्री लीला देवी दुकन लछुमन मंचासीन थे।
सम्मेलन में हिंदी के अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार और बहुआयामी संवर्धन से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं, जानी मानी हस्तियों, शिक्षाविदों,साहित्यकारों, पत्रकारों, कलाकारों, हिंदी स्वयंसेवकों और बौद्धिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इन सबके बीच केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रतिनिधि मंडल एवं विदेशी छात्रों की भूमिका को सम्मेलन में विभिन्न अवसरों पर विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
संस्थान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका ने किया। इनके साथ संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नन्द किशोर पाण्डेय, कुलसचिव प्रो. बीना शर्मा, अध्यापक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरिशंकर, पूर्वोत्तर शिक्षण सामग्री निर्माण विभागाध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित, दिल्ली केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा, अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षण विभाग के अध्यक्ष डॉ. गंगाधर वानोडे, सांध्यकालीन पत्रकारिता विभागाध्यक्ष श्री केशरी नंदन और भाषा प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष श्री अनुपम श्रीवास्तव सम्मिलित हुए। संस्थान के प्राध्यापकों ने सम्मेलन की विभिन्न विचार गोष्ठियों में अपनी सक्रिय सहभागिता की और अलग-अलग सत्रों में अपनी शैक्षणिक उपस्थिति दर्ज कराई।
मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका विश्व हिंदी सम्मेलन परामर्श मंडल के माननीय सदस्य थे। इन्होंने प्रवासी हिंदी साहित्य पर केंद्रित सत्र की अध्यक्षता की और मुख्य धारा के साहित्य के साथ-साथ प्रवासी अध्ययन की आवश्यकता को समझे जाने पर जोर दिया। प्रवासी साहित्यकारों द्वारा रचित साहित्य को भारतीय विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी जाने-समझें, इसकी आवश्यकता पर बल दिया गया तथा प्रवासी अध्ययन केंद्रों तथा अंतर सांस्कृतिक शोध कार्यों के माध्यम से समकालीन साहित्य की आवाज को नये सिरे से समझने का महत्व रेखांकित किया।
संस्थान के निदेशक प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय ने संस्कृति केंद्रित भाषा शिक्षण से संबंधित सत्र का संयोजन किया। अपने उद्बोधन में प्रो. पाण्डेय ने संस्कृति को भाषा शिक्षण के महत्वपूर्ण प्रविधि-संदर्भ के रूप में लिए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि संस्कृति की समुचित समझ-परख किए बिना कोई भी भाषा शिक्षक अपनी कक्षा में सफल और प्रभावी नहीं हो सकता है। भाषा शिक्षण के प्राथमिक चरण पर संरचना शिक्षण आवश्यक हो सकता है लेकिन इसके वृहतर परिप्रेक्ष्य और उच्चतर लक्ष्यों के संदर्भ में संस्कृति की भूमिका अग्रगामी होती है।
इसके अतिरिक्त संस्थान के प्रो. उमापति दीक्षित ने ‘वैश्विक हिंदी तथा भारतीय संस्कार’ एवं प्रो. बीना शर्मा ने ‘हिंदी विश्व एवं भारतीय संस्कृति’ विषय पर आलेख प्रस्तुत किए। सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक अनुपम श्रीवास्तव ने भाषा प्रौद्योगिकी के आने वाले उत्पादों – निकष (हिंदी भाषा दक्षता के प्रशिक्षण, परीक्षण एवं प्रमाणीकरण का ऑनलाइन सिस्टम) एवं इमली (भारतीय भाषाओं का बहुभाषी गृह कार्य सहायक उपकरण) के अनुसंधान एवं विकास से संबंधित चर्चा सत्र में सहभागिता की।
इस अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, कोश ग्रंथों, पत्रिकाओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका भारत और मॉरिशस के गणमान्य विशिष्ट अतिथियों ने आकर संदर्शन किया। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. सत्य पाल सिंह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी सहित देश-विदेश के प्रतिनिधियों ने संस्थान प्रकाशनों की प्रशंसा की। इसी दौरान संस्थान की पत्रिका ‘प्रवासी जगत’ के विश्व हिंदी सम्मेलन विशेषांक का लोकार्पण किया गया।
सारांश रूप में शिक्षा और संस्कृति से ‘प्रवासी हिंदी साहित्य’ तथा ‘हिंदी की साहित्यिक संस्कृति के चिंतन’ से लेकर ‘हिंदी भाषा प्रौद्योगिकी के भविष्य पथ’ तक विभिन्न समानांतर सत्रों में संस्थान के प्राध्यापकों का योगदान ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन की उल्लेखनीय उपलब्धि बना।