हिंदी की लघु पत्रिकाओं के लिए वित्तीय सहयोग योजना
सामान्य नियम एवं अनुदेश
- 1. सहायता के लिए आवेदन करने वाली हर लघु पत्रिका पंजीकृत होनी चाहिए। विशेष स्थितियों में चयन समिति अपंजीकृत पत्रिकाओं पर भी विचार कर सकती है।
- 2. प्रस्तावित पत्रिका के प्रकाशित हुए तीन वर्ष पूरे हो जाने चाहिए और कम से कम छ: अंक (वार्षिक तीन अंक) आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख के पूर्व प्रकाशित हो जाने चाहिए।
- 3. पत्रिका की न्यूनतम पृष्ठ संख्या कालावधि के अनुसार इस प्रकार होगी-
नियमावली एवं आवेदन पत्र डाउनलोड करें
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- मासिक – न्यूनतम 48 पृष्ठ
- त्रैमासिक – न्यूनतम 96 पृष्ठ
- अर्धवार्षिक – न्यूनतम 144 पृष्ठ
- वार्षिक – न्यूनतम 192 पृष्ठ
- 4. पत्रिका किसी ऐसी व्यावसायिक प्रकाशन घराने द्वारा प्रकाशित नहीं होनी चाहिए, जो दैनिक पत्र/जनरल/पत्रिकाएँ प्रकाशित करता हो। यह किसी शिक्षण संस्था, व्यावसायिक-औद्योगिकी संस्थाओं और राजनीतिक दलों द्वारा प्रकाशित भी नहीं होनी चाहिए।
- 5. प्रस्तावित पत्रिका की प्रतियों की संख्या कम से कम 500 होनी चाहिए।
- 6. उन्हीं प्रस्तावित पत्रिकाओं पर विचार किया जाएगा, जो चिंतन, ज्ञान और सृजन की कसौटी पर गुणवत्ता संपन्न होंगी।
- 7. आवेदन पत्र के साथ पत्रिका का अद्यतन अंक प्रस्तुत करना होगा।
- 8. प्रस्तावित पत्रिका भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध किसी प्रकार का लेखन प्रकाशित नहीं करेगी। उसकी प्रतिबद्धता धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और बहुलतावादी संस्कृति के प्रति होगी। पत्रिका में कट्टरवाद और अंधविश्वास का प्रचार नहीं होना चाहिए। पत्रिका की विषय वस्तु/अंतर्वस्तु न धर्म प्रचार से संबंधित होनी चाहिए और न राजनीतिक प्रचार से।
- 9. पत्रिका का वर्ष में कम से कम एक अंक अवश्य प्रकाशित होना चाहिए।
- 10. आवेदन प्रस्तुत करने के बाद डाक के पते में यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो इसकी सूचना संस्थान को तत्काल देनी चाहिए।
- 11. अधूरी सूचना वाले आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।
- 12. अनुदान की राशि पत्रिका की काल-अवधि, पृष्ठ संख्या एवं प्रस्तुति गुणवत्ता के आधार पर निर्धारित होगी। उपर्युक्त आधारों पर एक पत्रिका को अधिकतम वार्षिक 35,000/- (रुपए पैंतीस हजार) तक का अनुदान दिया जा सकता है।
- 13. प्रत्येक स्वीकृत आवेदन की वैधता एक वर्ष की रहेगी।
- 14. ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से अनुदान प्राप्त’ यह उल्लेख पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर एवं अन्य विवरणों के साथ करना होगा।
- 15. शर्तों का उल्लंघन करने पर भविष्य में अनुदान पर विचार नहीं किया जाएगा।
- 16. अनुदान देने वाली समिति द्वारा एक बार अस्वीकृत प्रस्ताव पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा।
- 17. किसी संस्थागत/सरकारी अनुदान या सहयोग से प्रकाशित पत्रिका को अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं समझा जाएगा।
- 18. लघु पत्रिकाओं को वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से लघु पत्रिकाओं का चयन करने के लिए सात सदस्यीय समिति होगी, जिसमें दो सदस्य लघु पत्रिकाओं के प्रतिष्ठित संपादक, एक सदस्य समाज वैज्ञानिक, एक सदस्य साहित्यिक आलोचक तथा एक सदस्य रचनाकार होंगे। निदेशक सदस्य सचिव होंगे तथा समिति के अध्यक्ष उपाध्यक्ष – केंद्रीय हिंदी शिक्षण मण्डल होंगे।
- 19. अनुदान प्राप्त पत्रिका के संपादक अपनी पत्रिका के प्रकाशित हर अंक की एक-एक प्रति संस्थान द्वारा निर्देशित पते पर भेजेंगे।