मदन लाल मधु
हिंदी और रूसी साहित्य के आधुनिक सेतु निर्माताओं में स्व. प्रो. मदनलाल मधु प्रमुखता से पहचाने जाते रहे हैं। मास्को के प्रमुख प्रकाशन-गृह प्रगति एवं रादुगा प्रकाशन में लगभग चार दशकों तक संपादक-अनुवादक के पद पर रहते हुए उन्होंने सौ से अधिक क्लासिकी रूसी पुस्तकों, जिनमें पुश्किन, मयाकोस्की, तोल्स्तोय, गोर्की, चेखव, तुर्गनेव आदि कालजयी साहित्य शामिल हैं, का हिंदी अनुवाद भारतीय पाठकों को सुलभ कराया। प्रो. मदन लाल मधु का जन्म 22 मई, 1925 में हुआ।
कार्यक्षेत्र
प्रचुर मात्रा में रूसी लोक साहित्य, बाल साहित्य के लेखन-संकलन के साथ-साथ प्रो. मधु ने हिंदी-रूसी-शब्दकोश का निर्माण कर हिंदी छात्रों के लिए रूसी-सीखने का मार्ग प्रशस्त किया। हिंदी के रूसी अध्यापकों की अनेक प्रकार से सहायता करते हुए उन्होंने रूसी पत्रिका के हिंदी संस्करण का लंबे अरसे तक संपादन किया। इसके अलावा प्रो. मधु मास्को रेडियो से भी जुड़े रहे।
सम्मान एवं पुरस्कार
प्रो. मधु रूसी-हिंदी के मजबूत संवाद सेतु थे। मौलिक एवं अनूदित लेखन के क्षेत्र में इनका महत्व किसी प्रकार भी भुलाया नहीं जा सकेगा। इन दो भाषाओं में इनके विशिष्ट रचनात्मक योगदान और अनुवाद कार्य के लिए इन्हें पुश्किन स्वर्ण पदक, मैत्री पदक, स्वर्णाक्षर पुरस्कार और भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से विभूषित किया गया है। अविस्मरणीय रचनाकार प्रो. मदनलाल मधु को पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान अपार श्रृद्धा और कृतज्ञता का अनुभव कर रहा है।
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तेजेंदर शर्मा
श्री तेजेंदर शर्मा समकालीन हिंदी कथा-साहित्य के अग्रणी लेखकों में सम्मिलित हैं। मूलत: पंजाबी भाषी श्री शर्मा के लेखन की माध्यम भाषा हिंदी रही है। इनकी कथात्मक कृतियों में ‘काला सागर’, ‘ढिबरी टाइट’, ‘बेघर आंखें’, ‘दीवर में रास्ता’ और ‘कब्र का मुनाफा’ आदि प्रमुख हैं। कथा साहित्य के अलावा आप कविता और ग़ज़ल भी लिखते रहे हैं। श्री तेजेंदर शर्मा का जन्म 21 अक्टूबर, 1952 को हुआ।
कार्यक्षेत्र
तेजेंदर शर्मा की कुछ कहानियाँ प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित हैं। उनके लेखन पर अनेक शोध-कार्य और पत्र-पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं। दूरदर्शन और कुछ फिल्मों से ये लेखक और बतौर अभिनेता जुड़े रहे हैं। बी.बी.सी. लंदन और ऑल इंडिया रेडियो से भी इन्होंने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी है।
सम्मान एवं पुरस्कार
तेजेंदर जी को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘प्रवासी भारतीय साहित्य भूषण सम्मान’, हरियाणा और महाराष्ट्र राज्य की साहित्य अकादमी के पुरस्कार और भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा ‘डॉ. हरिवंश राय बच्चन सम्मान’ से विभूषित किया जा चुका है। वरिष्ठ कहानीकार श्री तेजेंदर शर्मा को पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान हर्ष का अनुभव करता है।
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Middlesex HA37AN (United Kingdom)
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पूर्णिमा वर्मन
पूर्णिमा वर्मन का जन्म जून, 1955 में हुआ था। एक पत्रकार के रूप में अपना कार्य-जीवन प्रारंभ करने वाली श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने वेब पर हिंदी को स्थापित कर उसे लोकप्रिय बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। प्रवासी और विदेशी हिंदी लेखकों को प्रकाशित करने के लिए उन्होंने 'अभिव्यक्ति' और 'अनुभूति' जैसे साझा मंचों को तैयार किया, जो अपने स्वरूप में जाल पत्रिकाएँ हैं।
कार्यक्षेत्र
'अभिव्यक्ति' में पूर्णिमा वर्मन द्वारा शब्दकोश और तुकांत कोश की स्थापना कर साहित्य के लिए तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। श्रीमती वर्मन हिंदी के अंतरराष्ट्रीय विकास के अनेक कार्यों से जुड़ी होने के साथ-साथ हिंदी विकीपीडिया के प्रबंधकों में से भी एक हैं। उनके दो कविता संग्रह 'पूर्वा' और 'वक्त के साथ' नाम से प्रकाशित हैं। वेब और देश-विदेश की हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियॉं और लेख आदि भी प्रकाशित होते रहते हैं।
सम्मान और पुरस्कार
वेब पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के अपने प्रयत्नों के लिए पूर्णिमा वर्मन को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण ‘अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान’ सहित अनेक सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। ऐसे विशिष्टि कार्यों के लिए श्रीमती पूर्णिमा वर्मन को पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से विभूषित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
सुरेन्द्र गंभीर
डॉ. सुरेंद्र गंभीर हिंदी के समाज-भाषा वैज्ञानिक पक्ष के गंभीर अध्ययन और प्रामाणिक शोध के लिए ख्याति प्राप्त हैं। डॉ. गंभीर ने गयाना, त्रिनीडाड, सूरीनाम, मॉरीशस, फ़िजी और अमरीका के प्रवासी भारतीयों की भाषाओं से संबंधित भाषा-विकास और भाषा-ह्रास के पहलुओं पर अत्यंत विशिष्ट कार्य किया है।
कार्यक्षेत्र
दीर्घ समय से भारतीय भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन, भाषा-शिक्षण-प्रशिक्षण और भाषा-प्रवीणता-मूल्यांकन जैसे कार्यों से जुड़े रहे डॉ. गंभीर की छह पुस्तकें और सौ से भी अधिक शोध पत्र विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और विश्व कोशों में प्रकाशित हो चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया, कारनेल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ विसकांसिन में अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ डॉ. गंभीर अमरीकन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ के भाषा-विभाग के दीर्घ काल तक अध्यक्ष रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के उपरांत डॉ. गंभीर संप्रति अमरीका में युवा हिंदी संस्था के प्रमुख हैं।
सम्मान और पुरस्कार
अमरीका में अनेक भाषा कार्यक्रमों में अपनी भूमिका और भारतीय भाषाओं के अध्ययन व शोध में योगदान के लिए डॉ. गंभीर कई बार सम्मानित भी किए जा चुके हैं। 2007 में 'विश्व हिंदी सम्मेलन' के न्यूयार्क अधिवेशन में, 2008 में अमरीकन इंस्टीट्यूट की ट्रस्टी कौंसिल और 2011 में न्यूजर्सी असेंबली द्वारा भारतीय भाषाओं के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए सुरेंद्र गंभीर सम्मानित हुए हैं। भारतीय साहित्य, दर्शन और धर्म परंपराओं के अध्ययन में भी उनकी गहरी रुचि है। डॉ. गंभीर को उनके कृतित्त्व के लिए पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान अत्यंत कृतार्थ है।
मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार वर्ष 2008-09
पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित विद्वान | |||
1. | वर्ष 2008 | श्रीमती पूर्णिमा वर्मन | ![]() |
2. | वर्ष 2009 | डॉ. सुरेन्द्र गंभीर | ![]() |