नित्यानंद तिवारी
प्रो. नित्यानंद तिवारी हिंदी के उन लब्ध प्रतिष्ठित आलोचकों में शामिल किए जाते हैं जिन्होंने आलोचना और साहित्य विश्लेषण में इतिहास बोध की मूल्यांकन पद्धति का विकास किया। प्रो. नित्यानंद तिवारी का जन्म 8 अप्रैल, 1938 को हुआ।
कार्यक्षेत्र
‘आधुनिकता’ और ‘आधुनिकता बोध’ के लिए संघर्ष करने वाले साहित्यिक आंदोलनों में शामिल होकर इन्होंने आधुनिक साहित्य के वैचारिक एवं सैद्धांतिक सूत्रों को खोलने में विशेष भूमिका निभाई है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य, समाज और संस्कृति विषयक सौ से अधिक आलेखों के अलावा आपकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं – ‘आधुनिक साहित्य और इतिहास बोध’, ‘आलोचना के वस्तुवादी सरोकार’, ‘सृजनशीलता का संकट’ आदि।
सम्मान एवं पुरस्कार
हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रो. तिवारी को ‘साहित्यकार सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’ और ‘गुलाब राय आलोचना सम्मान’ सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. तिवारी हिंदी के अनेक साहित्यिक संस्थानों से अनेक रूपों में संबद्ध रहे हैं। इनमें केंद्रीय साहित्य अकादमी, हिंदी अकादमी और भारतीय ज्ञानपीठ की संचालन कार्यकारी, प्रवर एवं पुरस्कार निर्णय समितियों से संबद्धता प्रमुख है। वरिष्ठ आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी को सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार से सम्मानित करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान गौरवान्वित है।
संपर्क
सी-1, न्यू मुल्तान नगर, रोहतक रोड, नई दिल्ली-110056